Friday, 1 April 2016

राजा दशरथ कि कहानी

 अवधपुरी मे रघुकुलशिरोमणि राजा दशरथ रहते थे उनकी तीन रानीया थी I

सभी पवित्र आचरण वाली थी  वे पति के अनुकुल आचरण करने वाली थी I 

       एक बार राजा के मन मे ग्लानि हुइ कि मेरे पुत्र नही है  राजा तुरंत गुरु के घर गये और प्रणाम कर अपने मन कि व्यथा बताया  I  तब गुरु वशिष्ठ ने कहा के हे राजन इसमे परेसान होने कि कोइ बात नही आपके चार पुत्र होंगे और चारो पुत्र तिनो लोको मे प्रसिद्ध होंगे I

       वशिष्ठजी ने ऋषि शृंगी को बुलाया और उनसे पुत्र्कामेष्टि यज्ञ कराया  यज्ञ से प्रसन होकर अग्नि देव चरु (हविष्यान खिर) लिये प्रकट हुवे  और समझाया कि इसे जिसे जरुरत हो जरुरत के मुताबिक भाग लगाकर बाट दो  ये समझाकर अंतर्ध्यान हो गये I

       राजा ने तुरंत अपनी रानीयो को बुलाया और आधा भाग कौशल्या को दिया I और आधे भाग को दो भागो मे बाटकर एक भाग कैकेई को दिया I  शेष जो बचा रहा उसका दो भाग करके राजा ने कौशल्या से अनुमति लेकर सुमित्रा को दिया I इस प्रकार तिनो रानिया गर्भवती हुइ और समय सुख्पुर्वक निकलता रहा I

No comments:

INDIAN HINDU GOD WALLPAPER

Popular Posts

NAUKRI PATRIKA