Friday, 1 April 2016

राम जन्म

योग, लगन, ग्रह, तिथि सब अनुकुल हो गये I पवित्र चैत्र का महिना था,  नवमी तिथि थी , दोपहर का समय था  आकाश मे देवता लोग इकठा हो गये I देवताओ ने भगवान का स्तुति किया और् अपने अपने देव लोक को चले गये I     

              भगवान प्रकट हुए तो हाथ जोडकर माता कौशल्या ने प्रभु से विनति कि हे प्रभु आप यह रुप छोड कर बाल रुप मे प्रगट होकर बाल लीला करे, यह सुनते ही प्रभु बालक रुप मे आकर रोना सुरु कर दिया I रोने कि आवज सुनकर राजा और तिनो रानीया दौडी आई, तुरंत बाजा बजाने के आदेश दिया गया  राजा ने तुरंत गुरु को बुलवाया I         

           गुरु वशिष्ठ ब्राह्मणो के साथ आ पहुचे  नगर मे हर जगह बधाइया दिया जाने लगा  हर तरफ खुशिया मनाया जाने लगा I राजा ने हर किसी को दान दिया जिसे दान दिया उन्होने भी लुटा दिया  हर घर मे खुशिया मनाया जाने लगा केकैई और सुमित्रा ने भी सुन्दर बच्चो को जन्म दिया I  यह सब देख सुर्य भी आगे बढ्ना भुल गये और दिन एक महिने का हुआ था  यह रहस्य किसी ने नही जाना I        

           मनुष्य रुप मे भगवान शिवजी और काकभुशुण्डी भी वहा मौजुद थे उन्हे भी कोइ नही पहचान पाया इस प्रकार से कुछ दिन निकल गया I राजा ने फिर गुरु को बुलवाया उंनका आदर सत्कार करने के बाद राजा ने अपने पुत्रो का नामकरण का अनुरोध किया I गुरु ने पहले पुत्र का नाम राम बताया , दुसरे का भरत तिसरे का सत्रुध्न और चौथे का लक्ष्मण बताया I        

        बचपन से हि लक्ष्मण भगवान राम को अपना परम हितैषी स्वामी मांनकर उनका सेवा करना सुरु कर दिया था I       

        एकबार माता कौश्ल्या बालक राम को पाल्ने  मे सुलाकर पुजा करने गयी , सभी ईष्टदेवो को पुजा करने के बाद वहा दुबारा आयी तो देखा चढावा इत्यादि को राम खा रहे थे I फिर उन्होने देखा कि राम वही पर सो रहे है जहा पर उन्होने राम को सुलाया था यह देख के कौश्ल्या घबरा गयी I माता को घबराया देख कर राम ने अपना विराट रुप दिखाया, उनके एक एक रोम मे सहस्त्र ब्रह्मांड दिखायी दे रहा था, यह सब देख माता उनके पैरो मे गिर पडी, यह देखते ही प्रभु अपने बाल रुप मे दुबारा आ गये I माता डर गयी कि मैने जगत्पती को आम बालक समझा लेकिन राम ने उन्हे बहुत समझाया और बोला कि हे माता आप ये बात किसी और को ना बतानाI  

         ऐसे हि भगवान ने अपनी लिलाये जारी रखा अपने भाइयो के साथ खेलते और दोस्तो क साथ भी राजा क बुलाने से ना आकर राजा को साताते थे जबकी माता के बुलाते ही ठुमक ठुमक के आ जाते थे ये देख राजा अती प्रशन्न होते थे ऐसे हि भगवान अपने बाल लिलाओ को करते रहे और सबको आनन्दित करते हुए किशोर अवश्था को प्राप्त कर लिया I

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