Friday, 1 April 2016

यज्ञ कि रक्षा

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           चारो भाइ कब बडे हुए पता हि नही चला  इसी बिच उधर महर्षि विस्वामित्र को यज्ञ कि चिंता सता रहा था मारिच एवम सुबाहु नामक राक्षस उनके यज्ञ मे बाधा पहुचाते थे  दोनो ने ऋषियो का जिना हराम कर रखा था I

           ये सब मन मे विचार कर मुनि विश्वामित्र राजा दशरथ के यहा पहुचते है राजा ने मुनि का उचित सत्कार कर चारो पुत्रो से प्रणाम कराया  तत्पस्चात आने का प्रयोजन पुछाI

          मुनि ने बताया कि हे राजन जंगल मे जहा हम लोग यज्ञ करते है वहा राक्षसो ने  उत्पात मचा रखा है , वे हमारे यज्ञ को कभि सफल नही होने देते , और नाना प्रकार से बाधा पहुचाते रहते है I अतः मै आपके पुत्र राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले जाने आया हुI यह सुनते हि राजा का हृदय काप उठा और चेहरा फिका पड गया और बोले कि हे मुनि मैने चौथेपन मे पुत्र पाया है,  आपने कुछ विचार कर नही बोला,  कहा वे डरावने और खतरनाक राक्षस और मेरे किशोरे कोमल पुत्र कहा उन रक्षसो से मुकाबला कर पायेंगे  I

        ये बात सुनते ही मुनी बोले सुनो राजन मैने सोच विचार कर हि बोला है और राजा को तरह तरह से समझाते है और उनका सन्देह दुर करते हैI

         फिर राजा ने दोनो पुत्रो को बुलाया और उन्हे तरह तरह कि शिक्षाये दीए  और बहुत प्रकार से आशिर्वाद देकर मुनि के हवाले कर दियाI

           मुनि दोनो भाइयो को अपने साथ लेकर चले , रास्ते मे उन्होने राक्षसी ताडका को को दिखाया I ये शब्द सुनते ही वह ताडका गरजते हुए उनके तरफ दौडी , उसी वक्त श्री राम ने एक ही बाड मे ताडका का प्राड हर लिया और उसे मोक्ष प्रदान किया  तब मुनि ने ऐसी विद्या दिया जिससे कभी भुख या प्यास ना लगे और शरिर का बल भी बना रहेI

          फिर तिनो अश्रम पहुचे  मुनि ने सब अश्त्र शश्त्र राम को समर्पित कर दोनो भाइयो को कन्द मुल का भोजन कराया I सबेरे उठ कर राम ने मुनि से कहा आप निश्चिंत होकर जाके यज्ञ आरम्भ करे,  यह समाचार सुनते हि मुनियो का दुशमन मारिच अपने सहायको के साथ दौडा , श्री राम ने उसे बिना फल वाला बड मारा जिससे मारीच जाके सिधे सौ योजन के विस्तार वाले समुद्र के उस पार गिरा  फिर सुबाहु को अग्नी बाण मारा , वह भि मारा गया उधर छोटे भाइ ने राक्षसो के सेना का खात्मा कर दिया था I

          उस आश्रम मे राम और लक्षमण कुछ दिनो तक रहे उन दिनो मे राम और लक्ष्मण को ऋषियो ने वेदो का पाठ सुनाया और नाना प्रकार से प्रभु को खुश रखने का प्रयत्न किया गया I

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